AAP TAK NEWS : मशहूर खेसारी लाल यादव मशहूर डांसर और एक्टर का जीवन परिचय।
परिंदों को मिलेगी मंजिल यकीनन
यह फैले हुए उनके पर बोलते हैं
अक्सर वह लोग खामोश रहते हैं
जमाने में जिनके हुनर बोलते हैं
KHESARI LAL YADAV: जब जब हम किसी खास इंसान की जिंदगी से इंस्पायर प्रेरित होते हैं तब-तब हमारे अंदर भी एक जज्बा जाग जाता है कि, जब यह इंसान इतना कुछ कर सकता है अपनी लाइफ में, तो हम क्यों नहीं कर सकते। किसी इंसान की इंस्पिरेशनल लाइफ और आज वह किस मुकाम पर है उसे देखने के लोगों के अलग अलग नजरिए होते हैं। एक बॉलीवुड स्टार का बेटा या बेटी अगर सफल होकर टॉप 10 सुपरस्टार की लिस्ट में अपनी जगह बना लेते हैं, वहीं दूसरी ओर एक ऐसा इंसान जिसका बॉलीवुड का कनेक्शन तो बहुत दूर की बात है अगर उसके खाने पर भी आफत हो और वह मेहनत करके अपने क्षेत्र में भी प्रसिद्धि पा लेता है तो मेरे ख्याल से उसकी लाइफ उस बॉलीवुड स्टार के लाइफ से भी ज्यादा इंस्पिरेशनल है।
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दोस्तों अगर हमको किसी के सक्सेस को आंकना हो तो हमें उसकी लाइफ की शुरुआत और आज वह जिस सफलता के मुकाम पर है उसके बीच की जर्नी को देखना चाहिए। आज मैं अपने इस पोस्ट में बॉलीवुड के किसी बड़े स्टार्स के बारे में तो बात नहीं करूंगा लेकिन एक ऐसे सुपरस्टार की बात जरूर करूंगा जिन्होंने अपने क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम किया है और यकीन मानिए उनकी यह इंस्पिरेशनल स्टोरी आपको भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। आज हम अपने इस पोस्ट में बात करेंगे भोजपुरी के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव के जिंदगी के बारे में… कि कैसे वह जीरो से हीरो बने?
खेसारी लाल यादव बिहार राज्य के सारन जिला थाना रसूलपुर ढाना डीह CHAPRA शहर के एक गांव के रहने वाले थे। बिहार के कई गांव में आज भी घर मिट्टी के बने हुए हैं। उनका घर भी मिट्टी का था जब वह पैदा होने वाले थे तब उनका घर बारिश में गिर गया जिसकी वजह से उनकी माता जी को पड़ोस के घर में ले जाया गया जहां की खेसारी लाल यादव का जन्म हुआ। दोस्तों जिस इंसान का जन्म ही ऐसी परिस्थितियों में हुआ हो तो आप समझ सकते हैं कि उस इंसान ने अपनी जिंदगी में कितनी मुश्किलों और कठिनाइयों का सामना किया होगा।
खेसारी लाल यादव तीन भाई थे और उनके चार कजिन भाई थे जिन्हें उनके माता-पिता ने ही पाला था, क्योंकि उनके चाचा की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने बच्चों की परवरिश कर सकें। दिनेश लाल यादव के पिता दिन में चने बेचते थे और रात में गार्ड की नौकरी करते थे। कहते हैं इंसान अगर बचपन में ही तकलीफें देख चुका हो तो उसकी आगे की जिंदगी की राह आसान हो जाती है, ऐसा ही कुछ खेसारी लाल यादव के साथ हो चुका था। उनके पिता काफी ज्यादा मेहनत करके 7 भाइयों को पालने में सिर्फ 3 से 4 घंटे सो पाते थे। खेसारी लाल यादव आज जिस मुकाम पर हैं वहां पहुंचना भी अच्छे अच्छों के नसीब में नहीं होता है लेकिन सक्सेस पाना इतना आसान भी नहीं होता है। दोस्तों जब तक आप अपनी जिंदगी में कोई मकसद ना ढूंढ ले की एक्चुली में आपको करना क्या है, तब तक आप यूं ही अंधेरी गलियों में भटकते रहेंगे।
भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव अपने पिता के साथ टीन की छत से बनी झोपड़ी में रहने लगे वह हर दुख सहते रहे पर उन्होंने कभी हौसला नहीं छोड़ा, कुछ कर गुजरने का जज्बा जो उनके अंदर था उसे उन्होंने कभी मरने नहीं दिया। खेसारी लाल यादव को गाने का बहुत शौक था और वह गाते भी बहुत अच्छा थे, उनकी चाहत थी कि वह अपनी एक म्यूजिक एल्बम निकाले। म्यूजिक एल्बम का नाम सुनकर आप चौक मत जाइएगा क्योंकि मैं उस म्यूजिक एल्बम की बात नहीं कर रहा हूं जिसमें कि करोड़ों रुपए लगते हैं, दिल्ली में उस समय एक भोजपुरी एल्बम 10 से 15000 रुपए में बन जाया करती थी बस आप किसी स्टूडियो में जाकर रिकॉर्डिंग कर लीजिए। इसके आगे वह गाने कौन सुनता है, वह कहां तक जाता है इसकी कोई गारंटी नहीं है। दिनेश लाल यादव के पिता ने किसी तरह चने बेच बेच कर उनको ₹12000 दिए जिससे उन्होंने पहली म्यूजिक एल्बम निकाली। लेकिन शायद सफलता उन्हें भी इतनी आसानी से नहीं मिलने वाली थी उनकी पहली एल्बम बुरी तरह से फ्लॉप हो गई, लेकिन कहते हैं ना दोस्तों कि सफलता का मजा भी असफलता के बाद ही आता है। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने दिल्ली में ही एक ठेले पर लिट्टी चोखा बेचने का काम शुरू कर दिया।
लिट्टी चोखा बेच बेच कर खेसारी लाल यादव ने फिर से ₹10000 इकट्ठा किया और दोबारा से उन्होंने अपनी एल्बम निकालने की सोची लेकिन इस बार पैसे थोड़े कम पड़ रहे थे। हम मां बाप के बारे में उनका सम्मान उनका महत्व के बारे में सुनते हैं, जब भी कहीं पढ़ते हैं या फिर सुनते हैं तो अक्सर मां को ज्यादा महत्व दिया जाता है और ऐसा होना भी चाहिए। लेकिन हम पिता के बारे में कम बात करते हैं जबकि पिता ही वह इंसान होता है जो हमें जिंदगी की मुश्किलों से उबार कर बाहर लाता है।
खेसारी लाल यादव के जिंदगी में भी उनके पिता का एक बहुत बड़ा योगदान था। दूसरी एल्बम रिलीज करने के लिए फिर से उनके पिता ने कुछ पैसे इकट्ठे करके उनको दिए। उनके पिता का कहना था कि बेटा तुम अपने सपने पूरे करो कमाने के लिए मैं हूं ना। इस तरह से खेसारी लाल यादव ने कुछ पैसे खुद से इकट्ठा किए और कुछ पैसे पिता से लेकर दूसरी एल्बम निकालने की तैयारी शुरू कर दी। धीरे धीरे बिहार के दो तीन जिलों में लोग उन्हें जानने लगे। वह महाभारत, रामायण के पाठ भी किया करते थे जिसके लिए उन्हें कभी डेढ़ सौ या ₹500 मिलते थे। समय के साथ हवाओं ने रुख बदल लिया था और जब आपने ठान लिया हो कि मुझे अपनी जिंदगी में कुछ कर गुजरना है तो सफलता भी आपके करीब आने लगती है। यही हुआ खेसारी लाल यादव के साथ भी जब सन 2012 में उनकी पहली भोजपुरी फिल्म जिसमें वह हीरो थे SAJAN CHALE SASURAL रिलीज हुई तो उनके सारे संघर्षों का फल एक साथ उनकी झोली में आ गिरा।
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इस फिल्म ने बिहार और यूपी में सफलता के कई कीर्तिमान स्थापित किए और खेसारी लाल यादव रातों-रात चमकता हुआ सितारा बन गए। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा बचपन में भैंस चराने वाले इस लड़के ने अपनी काबिलियत से यूपी और बिहार में अपना डंका बजा दिया।
एक वह दिन था जब उनके घर में एक पेंट सिलवाया जाता था, जिसे बारी-बारी से उनके सातो भाई पहनते थे और एक आज का दिन है जब उनकी एक झलक पाने को लोग तरसते हैं। मैं यह नहीं कहता कि आज वह एक बहुत बड़े सुपरस्टार बन गए हैं लेकिन आज वह जिस भी मुकाम पर हैं वहां तक पहुंचना भी करोड़ों लोगों के लिए एक सपना सा ही है।
हम अक्सर सुनते हैं की हर एक कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है लेकिन खेसारी लाल यादव की बात करें तो उनके सक्सेस के पीछे उनके पिता का योगदान था। एक्चुली में हर सफल इंसान के पीछे उसके पिता का बहुत बड़ा योगदान होता है जिसे अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं।
उम्मीद करता हूं दोस्तों कि आपको यह पोस्ट को पढ़कर आपकी जिंदगी में भी कोई पॉजिटिव बदलाव जरूर आएगी।
धन्यवाद॥www.aaptak.net
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